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अधिकारी संवेदनशीलतपूर्वक प्रकरण का करें निराकरण : कलेक्टर

राजनांदगांव। कलेक्टर संजय अग्रवाल की उपस्थिति में कलेक्टोरेट सभाकक्ष में सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत प्रथम अपीलीय अधिकारियों एवं जनस...


राजनांदगांव। कलेक्टर संजय अग्रवाल की उपस्थिति में कलेक्टोरेट सभाकक्ष में सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत प्रथम अपीलीय अधिकारियों एवं जनसूचना अधिकारियों हेतु एक दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान राज्य सूचना आयोग के अनुभाग अधिकारी अतुल वर्मा मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। 

कलेक्टर संजय अग्रवाल ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 लोकहित में महत्वपूर्ण है तथा हमें सुरक्षा प्रदान करता है। उन्होंने सभी अधिकारियों से कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम की पूरी जानकारी रखें। उन्होंने कहा कि विकसित देशों में नागरिकों को लोकहित से जुड़े मुद्दों के संबंध में जानकारी प्राप्त करने का अधिकार होता है। जिससे नागरिकों को शक्ति मिलती है। जानकारी जिस रूप में होती है, उसी स्वरूप में आवेदनकर्ता को सूचना देना होता है। संकलित कर कोई भी जानकारी नहीं देना है। उन्होंने कहा कि सूचना का अधिकार सुरक्षा कवच है। सभी अधिकारियों को निर्धारित समय का पालन करते हुए इससे संबंधित आवेदनों को प्राथमिकता से निराकरण करने की जरूरत है। कार्यालयों में यह जिम्मेदारी है कि सूचना के अधिकार से संबंधित फाईल व्यवस्थित एवं संधारित रखें तथा समय पर निराकरण करें। उन्होंने कहा कि आरटीआई के माध्यम से किसी व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आ सकता है। हो सकता है कि आरटीआई लगाने वाले व्यक्ति के लिए सूचना महत्वपूर्ण हो। अधिकारी संवेदनशीलतपूर्वक प्रकरण का निराकरण करें और समस्या का समाधान करें। उन्होंने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत आयोजित प्रासंगिक कार्यशाला के लिए सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकानाएं दी। उन्होंने कहा कि इसके जरिए आप सभी अधिकारियों की मदद कर पाएंगे।

राज्य सूचना आयोग के अनुभाग अधिकारी अतुल वर्मा ने सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत विभिन्न नवीनतम जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। आरटीआई ऑनलाईन होने के कारण यह कार्य अब अधिक सुगमता एवं कुशलतापूर्वक हो सकेगा। इसके लिए सभी अधिकारी-कर्मचारी, आवेदक पंजीयन करा सकते है। उन्होंने बताया कि आरटीआई के संबंध में आयोग के ऑनलाईन वेबपोर्टल में महत्वपूर्ण दिशा निर्देश दिए गए है। उन्होंने कहा कि अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सभी विभागों में जनसूचना अधिकारी तथा अपीलीय अधिकारी की व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि डिजिटल तरीके से आरटीआई के प्रकरणों का निराकरण करने पर दो लाभ होगे। जिसमें शुल्क ऑनलाईन भुगतान करेंगे तथा जानकारी ऑनलाईन प्रदान की जाएगी। जिससे आवेदनकर्ता की मेहनत और खर्च की बचत होगी। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि अधिकतम 30 दिनों में प्रकरणों का निराकरण करें। 

इस बात का विशेष ध्यान रखें कि किसी की संपत्ति, व्यक्तिगत जानकारी, आधार कार्ड एवं अन्य निजी रिपोर्ट सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत नहीं दिए जा सकें। उन्होंने कहा कि सूचना के अधिकार प्रकरणों के लिए पंजी बनाएं तथा निराकरण करें। शुल्क लगाने के लिए गणना पत्रक में पृष्ठ की संख्या स्पष्ट लिखते हुए कुल राशि बताएं। उन्होंने कहा कि बीपीएल परिवार के सदस्यों के लिए किसी भी तरह का शुल्क नहीं लिया जाएगा तथा 100 रूपए तक की पात्रता का लाभ मिलेगा, जिससे अधिक होने पर शुल्क देय होगा। उन्होंने कहा कि लोकहित से जुड़े मुद्दों पर आरटीआई के तहत सूचना देनी है। सूचना के असंतुष्ट होने पर आवेदनकर्ता नियमों के तहत प्रथम अपील कर सकते है। उन्होंने अधिनियम के प्रावधानों में छूट, अधिनियम के क्रियान्वयन सहित अन्य विषयों के संबंध में जानकारी प्रदान की गई। उन्होंने अधिकारियों की जिज्ञासाओं का समाधान किया।

अपर कलेक्टर सीएल मारकण्डेय ने कहा कि राज्य सूचना आयोग के निर्देशानुसार कार्यशाला का आयोजन किया गया है। अधिकारियों को नवीनतम अधिनियमों की की जानकारी होनी चाहिए। भ्रांतियों को दूर करते हुए सूचना का अधिकार अधिनियम में नई कंडिकाएं जोड़ी गई है, वही संशोधन भी किया गया है। इस दृष्टिकोण से यह कार्यशाला महत्वपूर्ण है। इस अवसर पर संयुक्त कलेक्टर शीतल बंसल, एसडीएम राजनांदगांव खेमलाल वर्मा, जिला जनसूचना अधिकारी व संयुक्त कलेक्टर हितेश्वरी बाघे, संयुक्त कलेक्टर सरस्वती बंजारे, मास्टर ट्रेनर कैलाश चंद्र शर्मा, मास्टर ट्रेनर दीपक सिंह ठाकुर एवं अन्य अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित थे।


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