मोहला। अंबागढ़ चौकी विकासखंड के आदिवासीबहुल ग्राम कौडूटोला की महिलाएं कभी पाई-पाई के लिए मोहताज थी। बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित ये महिला...
मोहला। अंबागढ़ चौकी विकासखंड के आदिवासीबहुल ग्राम कौडूटोला की महिलाएं कभी पाई-पाई के लिए मोहताज थी। बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित ये महिलाएं सिर्फ रोजी-मजदूरी और खेती-किसानी तक सीमित थी। लेकिन अब तस्वीर बदल चुकी है। हथकरघा ने इन महिलाओं के जीवन में क्रांति ला दी है। सुशासन व जिला प्रशासन के सहयोग और पंचायत की भागीदारी से गांव की महिलाओं ने मिलकर (दंतेश्वरी महिला बुनकर सहकारी समिति) का गठन किया। इस समिति की अगुवाई प्रीति देवांगन सहित दर्जनभर महिलाओं ने की। आज गांव की 20 महिलाएं इस समिति से जुड़कर आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश कर रही हैं। महिलाएं अब हथकरघा के जरिये कपड़ा बुनती हैं और इससे हर महीने 7000-8000 रुपये तक कमा रही हैं। प्रति मीटर कपड़े पर उन्हें 32 रुपये मिलते हैं। मेहनती और कुशल महिलाएं हर पखवाड़े ढाई से तीन हजार रुपये तक कमा लेती हैं। उनकी मेहनत की पूरी राशि सीधे उनके बैंक खातों में भेजी जाती है जिससे पारदर्शिता बनी रहती है। डामनबाई निषाद बताती है कि पहले वे सिर्फ मजदूरी करती थी लेकिन अब उन्हें हर महीने 7 से 8 हजार रुपये की आमदनी हो जाती है। वही हुमनबाई कौडूटोला पहले खेती-किसानी कर अपने परिवार का गुजारा करती थी लेकिन अब उन्हें प्रतिदिन 200 से 300 रुपए तक की आमदनी हो रही है। इसके साथ ही उन्हें राज्य सरकार की महतारी वंदन योजना का भी लाभ मिल रहा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और अधिक सुदृढ़ हुई है। इस सहायता के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को हृदय पूर्वक धन्यवाद ज्ञापित किया है।
इस आमदनी से न केवल घर का खर्च आसानी से चल रहा है बल्कि महिलाओं का आत्मसम्मान भी बढ़ा है। वे अब गांव के विकास और बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के बारे में सोचने लगी हैं। शुरुआत में यह सफर आसान नहीं था। लेकिन महिलाओं की मेहनत, समर्पण और जिला प्रशासन की निरंतर प्रेरणा ने इस बदलाव को संभव बनाया। जिला प्रशासन की यह पहल अब कौडूटोला जैसे अन्य गांवों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन रही है।
No comments