गरियाबंद। 12 फरवरी से प्रारंभ हुए राजिम कुंभ कल्प मेला की भव्यता दिनों दिन बढ़ती जा रही है। वैसे तो राजिम कुंभ माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि त...
गरियाबंद। 12 फरवरी से प्रारंभ हुए राजिम कुंभ कल्प मेला की भव्यता दिनों दिन बढ़ती जा रही है। वैसे तो राजिम कुंभ माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक आयोजित होता है। इसके अंतर्गत संत-समागम का भी आयोजन किया जाता है। इस बार संत समागम का उद्घाटन 21 फरवरी को होने जा रहा है, जो 26 फरवरी महाशिवरात्रि तक चलेगा। जिसमें विभिन्न धार्मिक स्थलों से साधु-संत शामिल होंगे।
इस बार राजिम कुंभ में संतों का आगमन शुरू हो चुका है। संतो के स्वागत हेतु कुंभ नगरी राजिम में संत समागम स्थल सजकर तैयार है। त्रिवेणी संगम स्थित संत समागम स्थल पर साधु-संतों, महामंडलेश्वरों, आचार्य महात्माओं के लिए विशाल डोम, स्विस कॉटेज, कुटिया तथा यज्ञ शाला का निर्माण किया गया है, जिसमें संत महात्माओं द्वारा विभिन्न प्रकार के यज्ञ अनुष्ठान को पूरी वैदिक रीतियों के साथ सम्पन्न कराया जाता है तथा संत समागम के विशाल मंच से संतों के प्रवचन आशीष वचन के रूप में श्रद्धालुओं को सुनने का पुण्य लाभ मिलेगा।
संत समागम परिसर में इस बार गुरुशरण महाराज ‘‘पंडोखर सरकार’’ का 21 से 25 फरवरी तक दिव्य दरबार लगेगा। जिसमें महाराज जी कुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की विभिन्न दैहिक, दैविक एवं भौतिक समस्याओं का समाधान करेंगे। पंडोखर धाम एवं श्री गुरुशरण महाराज के प्रति भक्तों की गहरी आस्था है। महाराज जी के आगमन को लेकर भक्तों में काफी उत्साह देखा जा रहा है।
इस बार कुंभ कल्प में आचार्य महामंडलेश्वर विशोकानंद भारती, महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद गिरी, महामंडलेश्वर नवल गिरी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी शैलेशानंद महाराज, महामंडलेश्वर मनमोहनदास महाराज, दंडी स्वामी सच्चिदानंद तीर्थ महाराज, चक्रमहामेरूपीठम, बाल योगेश्वर बालयोगी रामबालक दास महाराज, साध्वी महंत प्रज्ञा भारती, स्वामी ज्ञानस्वरूपानंद अक्रिय के अलावा बड़े-बड़े संत महात्मा शामिल होंगे। धर्मगुरुओं के अलावा हरिद्वार, प्रयागराज, कांसी, बनारस, मथुरा, वृंदावन, अयोध्या, अमरकंटक, चित्रकूट, उत्तराखंड से बड़ी संख्या में साधु-संतों की टोली राजिम कुंभ कल्प मेला में पहुंचेगी।
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