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छत्‍तीसगढ़ में मारे जाने के डर से अब पड़ोसी राज्‍यों को नया ठिकाना बनाने की फिराक में नक्सली

रायपुर।  नक्सलवाद खिलाफ चल रहे संयुक्त सुरक्षा अभियान ने अब छत्तीसगढ़ के नक्सलियों की बेचैनी बढ़ा दी है। सुरक्षा अधिकारियों के मुताबिक मारे ...


रायपुर।  नक्सलवाद खिलाफ चल रहे संयुक्त सुरक्षा अभियान ने अब छत्तीसगढ़ के नक्सलियों की बेचैनी बढ़ा दी है। सुरक्षा अधिकारियों के मुताबिक मारे जाने के डर से नक्सली छत्तीसगढ़ के ही अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों और राज्य से भागकर पड़ोसी राज्यों में नया ठिकाना बनाने की तलाश कर रहे हैं।

सुरक्षा तंत्र से मिली जानकारी के बाद सीमावर्ती क्षेत्रों में ज्वाइंट टास्क फोर्स (जेटीएफ) की निगरानी बढ़ा दी गई है। अब हर पांच किलोमीटर में आने-जाने वालों के लिए जेटीएफ व स्थानीय पुलिस बल की मदद से जानकारी ली जा रही है। ओडिशा में भी भाजपा की सरकार बनने के बाद दबाव अधिक बढ़ गया है, इसलिए वहां से भी कुछ नक्सली छत्तीसगढ़ भागकर आना चाहते हैं। 22 नवंबर को ओडिशा-छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती तट पर हुई मुठभेड़ में जवानों ने 10 नक्सलियों को मारा था, यहां नक्सली छत्तीसगढ़ प्रवेश करने की फिराक में थे। पिछले दो महीने में ज्यादातर वारदातें सीमावर्ती क्षेत्र में हो रही है। यहां नक्सलियों का नया ठिकाना न बने इसलिए राज्य के पड़ोसी राज्यों के साथ अभियान तेज हो गया है।

शाह के नेतृत्व में रायपुर में बनी थी रणनीति

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 24 अगस्त 2024 को रायपुर में छत्तीसगढ़ से सटे हुए नक्सल प्रभावित राज्यों के अधिकारियों से कहा था कि 31 मार्च 2026 तक देश को पूरी तरह से नक्सलवाद से मुक्त करना है। उन्होंने छत्तीसगढ़ और उसकी सीमाओं से सटे राज्यों के पुलिस महानिदेशकों और मुख्य सचिवों के साथ नक्सल विरोधी आपरेशन की समीक्षा के बाद निष्ठुर रणनीति (रूथलैस अप्रोच) के साथ नक्सलियों के पूरे इकोसिस्टम को ध्वस्त करने के निर्देश दिए थे। नक्सलियों के पास अब दो ही विकल्प बचा है या तो वे आत्मसमर्पण करें और मुख्य धारा में लौट आएं या फिर गोली खाने के लिए तैयार रहें। अब नक्सलियों के मांद में ही घुसकर मारने की रणनीति बनी है।

पिछले 11 महीने में हुए तमाम मुठभेड़ों में सुरक्षा बल के जवानों ने 207 नक्सलियों को मार गिराया है। 787 नक्सली गिरफ्तार हुए हैं और 789 ने आत्मसमर्पण किया है। देश में अगर बात करें तो नक्सलवाद संबंधित हिंसा की घटनाएं 16,463 से घटकर 7,700 हो गई हैं। यह संख्या अगले साल और कम करने का लक्ष्य है। नागरिकों और सुरक्षाबलों की मौत में 70% की कमी आई है। हिंसा की रिपोर्ट करने वाले जिलों की संख्या 96 से घटकर 42 हो गई है।

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