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सम्यक ज्ञान पद की आराधना से समझ आएगा जिन शासन का सार : मुनिश्री प्रियदर्शी विजयजी

रायपुर।संभवनाथ जैन मंदिर विवेकानंद नगर रायपुर में आत्मोल्लास चातुर्मास 2024 की प्रवचनमाला जारी है। मंगलवार को महामंगलकारी शाश्वत ओली जी की आ...


रायपुर।संभवनाथ जैन मंदिर विवेकानंद नगर रायपुर में आत्मोल्लास चातुर्मास 2024 की प्रवचनमाला जारी है। मंगलवार को महामंगलकारी शाश्वत ओली जी की आराधना का सातवां दिन रहा। सम्यक ज्ञान पद की आराधना की गई।  

धर्मसभा में तपस्वी मुनिश्री प्रियदर्शी विजयजी म.सा. ने कहा कि सम्यक ज्ञान पद प्रकाश का काम करता है। सम्यक ज्ञान पद  की आराधना से जिन शासन का सार समझ आएगा।

मुनिश्री ने कहा कि हर एक पद का बड़ा महत्व है। तीर्थंकर पद, अरिहंत पद नहीं होता तो शासन की स्थापना कैसे होती, धर्म का मार्ग कौन बताता। सिद्ध पद ध्रुव तारा के समान है, ध्रुव तारा को देखकर जीव संसार के अंदर भटकते भटकते अपने लक्ष्य से चुकता नहीं है। हमेशा अपना लक्ष्य रखता है कि मुझे सिद्ध गति में जाना है। किसी भी गति में जीव जाए अपना लक्ष्य चुकता नहीं है।

मुनिश्री ने कहा कि ऐसे ही आचार्य पद का भी बड़ा महत्व है। जिन शासन को आगे बढ़ाने, जिन शासन में वृद्धि करने के लिए सबसे अच्छा कार्य आचार्य भगवंत करते हैं। अपनी देशना के द्वारा जीव को तैयार कर उनको साधु पद प्रदान करते हैं। शासन की बागडोर संभालते हैं। उपाध्याय जी भगवंत सूत्रों का दान पाठन करते हैं। वहीं साधु पद अपने अंदर के शत्रु समूह को नाश करने के लिए सदा तत्पर रहते हैं। इसी तरह सम्यक दर्शन, जो अनादि काल से मिथ्या दर्शन हमारी आत्मा के साथ जुड़ा हुआ है उसे  दूर करने का काम करता है। संसार को जीव का वास्तविक स्वरूप बताने का काम सम्यक दर्शन करता है। अनादि काल से जीव अज्ञान के कारण भटक रहा है,तप भी कर रहे,क्रिया भी कर रहे, भगवान की पूजा भी कर रहे, परमात्मा की आज्ञा का पालन भी कर रहे फिर भी भ्रमण अटका नहीं है। प्रवचन सुन लिया लेकिन उसे जीवन के अंदर अप्लाई नहीं करते हैं। इसको आत्मसात कैसे करते हैं,यह उनके ऊपर डिपेंड करता है।

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