Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

ब्रेकिंग

latest
//

लेट, लापरवाही और कवरअप... कोलकाता कांड पर सीजेआई ने ममता सरकार, पुलिस और अस्पताल पर उठाए सवाल

कोलकाता। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कोलकाता रेप और मर्डर केस में सुनवाई की और पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार से लेकर पुलिस और अस्पताल प्...

कोलकाता। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कोलकाता रेप और मर्डर केस में सुनवाई की और पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार से लेकर पुलिस और अस्पताल प्रशासन तक को सीधे कठघरे में खड़ा किया. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग की और मामले में लेट, लापरवाही और कवरअप पर जमकर फटकार लगाई. एससी ने केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई से गुरुवार तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है. सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि कार्यस्थल पर डॉक्टरों की सुरक्षा पर विचार करने के लिए नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा. टास्क फोर्स में डॉक्टर शामिल होंगे, जो सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरे देश में अपनाए जाने वाले तौर-तरीकों से हमें अवगत कराएंगे.


कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 9 अगस्त की रात 31 साल की ट्रेनी महिला डॉक्टर का शव बरामद किया गया था. घटना सेमिनार हॉल की है. शरीर पर चोट के निशान थे और खून बह रहा था. जांच में पता चला कि डॉक्टर से रेप किया गया, उसके बाद हत्या कर दी गई. पुलिस ने आरोपी संजय रॉय को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. हालांकि इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया गया है कि इस घटना में कई लोग शामिल हैं. कोलकाता हाईकोर्ट ने मामले की जांच पुलिस से सीबीआई को ट्रांसफर कर दी. जांच एजेंसी लगातार अस्तपाल के पूर्व प्रिंसिपल से पूछताछ कर रही है.

अस्पताल से क्या सवाल? 

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने पश्चिम बंगाल सरकार और हॉस्पिटल प्रशासन को फटकार लगाई. सीजेआई ने कहा कि जब हत्या की घटना हुई, उस समय पीड़िता के माता-पिता वहां मौजूद नहीं थे. ये हॉस्पिटल प्रबंधन की जिम्मेदारी थी कि वो एफआईआर दर्ज कराए. सीजेआई ने सवाल किया कि एफआइआर देर से क्यों दर्ज हुई? हॉस्पिटल प्रशासन आखिर क्या कर रहा था? सीजेआई ने पूछा- उस समय प्रिंसिपल क्या कर रहे थे? माता-पिता को पीड़िता का शव भी देर से सौंपा गया. एससी ने पूछा, सबसे पहले एफआईआर किसने और कब दर्ज कराई. इस पर जानकारी दी गई कि मामले में उस रात 11.45 PM पर पहली एफआईआर दर्ज की गई. सीजेआई ने कहा की अभिभावकों को बॉडी देने के 3 घंटे 30 मिनट के बाद एफआईआर दर्ज की गई?

पुलिस से क्या सवाल

कोर्ट ने एफआईआर (प्रथम सूचना रिपोर्ट) दर्ज करने में देरी के लिए पश्चिम बंगाल सरकार और पुलिस को फटकारा. कोर्ट ने कहा, शुरुआत में मामले में एफआईऔर दर्ज नहीं की गई. पुलिस क्या कर रही थी? एक गंभीर अपराध हुआ है. उपद्रवियों को अस्पताल में घुसने दिया गया? सीजेआई ने कहा कि पुलिस ने क्राइम सीन को प्रोटेक्ट क्यों नहीं किया? हजारों लोगों को अंदर क्यों आने दिया? पुलिस को सबसे पहला काम अपराध स्थल की सुरक्षा करना है. बेंच ने पूछा, जब हजारों की भीड़ ने अस्पताल पर हमला किया तो पुलिस बल क्या कर रहा था? सीजेआई ने कहा कि पुलिस कर क्या रही थी? सरकार ने कहा कि आप वीडियो देखें. 150 पुलिस वाले तोड़फोड़ के समय वहां मौजूद थे. कोई पुलिस वाला जगह छोड़कर नहीं गया. सीजेआई ने कहा, पश्चिम बंगाल पुलिस को खुद पर उठ रहे सवालों को गंभीरता से लेना चाहिए.


No comments

दुनिया

//