हाथरस भगदड़ कांड के बाद से ही सूरज पाल उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ भोले फरार है. यूपी पुलिस उसकी तलाश कई जिलों में खाक छान रही है, लेकिन स्...
हाथरस भगदड़ कांड के बाद से ही सूरज पाल उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ भोले फरार है. यूपी पुलिस उसकी तलाश कई जिलों में खाक छान रही है, लेकिन स्वयंभू बाबा का अभी तक कोई अता-पता नहीं है कि वो किस बिल में छिपा हुआ है. अब 'भोले बाबा' से जुड़ा एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. उसका पेपर लीक माफिया से भी कनेक्शन सामने आया है. ऐसी जानकारी निकलकर सामने आई है, जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे. बता दें कि बीते दिनों नीट यूजी और यूजीसी नेट 2024 के पेपर लीक होने से देश में जबरदस्त घमासान देखने को मिला था.
पेपर लीक माफिया से 'भोले बाबा' का कनेक्शन
सूरज पाल उर्फ भोले बाबा के पेपर लीक माफिया से कनेक्शन के तार राजस्थान से जुड़ा है, जिस पेपर लीक माफिया के साथ 'भोले बाबा' का लिंक निकला है, उसका नाम हर्षवर्धन है. पता चला है कि राजस्थान के दौसा में भोले बाबा का जिस घर में दरबार लगता था वो इसी पेपरलीक माफिया हर्षवर्धन का था. भोले बाबा पेपर लीक माफिया हर्षवर्धन के मकान में हर 4 महीने में दरबार लगाता था. बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पर आते थे. सामने आया कि जहां बाबा नारायण हरि ने अपना अस्थाई डेरा बना रखा था, वो मकान हर्षवर्धन का ही था. इसी दरबार की आड़ में हर्षवर्धन पेपरलीक का रैकेट चलाता था.
...फिर बाबा का यहां नहीं लगा दरबार
पेपर लीक माफिया हर्षवर्धन काफी कुख्यात है. इस साल फरवरी में SOG ने उसके कई ठिकानों पर दबिश दी थी. तब SOG ने हर्षवर्धन के इस आवाज पर भी छापा मारा था, जहां भोले बाबा का दरबार लगता था. हालांकि हर्षवर्धन पर एसओजी के एक्शन के बाद यहां भोले बाबा का दरबार नहीं लगा. तभी से वो मकान सीज कर रखा है. हालांकि बताया जा रहा है कि यहां अभी टेंट लगे हुए हैं. बाहर एक बोर्ड लगा था जिस पर लिखा था ‘बाबा अभी निज प्रवास पर हैं.’भोले बाबा के दरबार की आड़ में पेपर लीक माफिया हर्षवर्धन कई अवैध काम करता था. इस प्रकरण के बाद से हर्षवर्धन अभी जेल में है.
कौन है भोले बाबा?
बाबा को नारायण साकार हरि और साकार विश्व हरि जैसे नामों से जाना जाता है. बाबा का असली नाम सूरज पाल हैं. नारायण साकार हरि एटा जिले के बहादुर नगरी गांव का रहने वाला है. नारायण साकार हरि अपनी पत्नी के साथ सत्संग करते हैं. इनके सत्संग को मानव मंगल मिलन सद्भावना समागम कहा जाता है.
बाबा खुद को इंटेलीजेंस ब्यूरो का पूर्व कर्मचारी बताते हैं. दावा है कि 26 साल पहले सरकारी नौकरी छोड़ वे प्रवचन करने लगे. सूत्रों की माने तो बाबा यूपी पुलिस में हेड कॉन्स्टेबल था. उन पर बलात्कार का केस दर्ज हुआ था, जिसके बाद पुलिस विभाग ने उसे बर्खास्त कर दिया था. जेल से छूटने के बाद सूरज पाल बाबा बन गया.
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