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बाल विवाह की रोकथाम आवश्यक, समाज की भागीदारी जरूरी : कलेक्टर संजय अग्रवाल

  राजनांदगांव। बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ की अवधारणा को साकार करने के लिए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान 10 मार्च 202...

 


राजनांदगांव। बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ की अवधारणा को साकार करने के लिए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान 10 मार्च 2024 से संचालित किया जा रहा है। इसी तारतम्य में महिला एवं बाल विकास विभाग तथा जिला प्रशासन राजनांदगांव द्वारा जिले स्तर एवं विकासखण्ड स्तर तथा ग्राम स्तर पर निरंतर प्रयास किया जा रहा है। कलेक्टर संजय अग्रवाल के अध्यक्षता में बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के संबंध में कलेक्टोरेट सभाकक्ष में समाज प्रमुखों का जिला स्तरीय उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान सीईओ जिला पंचायत सुरूचि सिंह, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास गुरूप्रीत कौर, जिले के विभिन्न समाजों के समाज प्रमुख एवं पदाधिकारी उपस्थित थे। इस अवसर पर कलेक्टर श्री अग्रवाल ने उपस्थित सभी लोगों को बाल विवाह की रोकथाम के लिए संकल्प दिलाया।

कलेक्टर संजय अग्रवाल ने कहा गया कि 18 वर्ष से कम उम्र की बालिकाओं एवं 21 वर्ष से कम उम्र के बालकों की शारीरिक एवं मानसिक विकास नहीं होने के कारण उनके जीवन में बाधाएं उत्पन्न होती है और शिक्षा अवरूद्ध होने से उनका पूरा कैरियर प्रभावित हो जाता हैै। इसलिए शासन द्वारा बाल विवाह की रोकथाम हेतु बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 लाया गया है। जिसके तहत जिले के किसी भी ग्राम में बाल विवाह न हो, इसके लिए समाज के प्रत्येक व्यक्ति की भागीदारी की आवश्यकता है, ताकि जिले को बाल विवाह मुक्त बनाया जा सके। सामाजिक कुरीतियों के प्रति समाज में जागरूकता लाने की जरूरत है। बाल विवाह की सूचना प्राप्त होने पर पहले समाज एवं ग्राम स्तर पर रोका जाए। बाल विवाह की जानकारी प्राप्त होने पर चाईल्ड हेल्प लाइन 1098 एवं महिला हेल्पलाइन 181 तथा 112 में अवश्य सूचना दे सकते हैं ताकि बाल विवाह को समय पर रोका जा सकें।

सीईओ जिला पंचायत सुरूचि सिंह द्वारा बताया गया कि कम उम्र में शादी होने से बच्चें कुपोषण के शिकार हो जाते है तथा अनेक बार प्रसव के दौरान शिशु मृत्यु एवं मातृ मृत्यु के खतरे बढ़ जाते है। जिला कार्यक्रम अधिकारी गुरप्रीत कौर द्वारा समाज के पदाधिकारियों से अपील की गई कि अपने समाज में होने वाले प्रत्येक कार्यक्रम में बाल विवाह रोकथाम की चर्चा हो एवं बाल विवाह नहीं करने का शपथ दिलाया जाए। जहॉं कही किसी ग्राम या समाज के लोगों को इस विषय पर जानकारी देने की आवश्यकता हो, तो विभाग को अवश्य बताएं ताकि विभाग की टीम भेजकर लोगों को जागरूक करने बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के प्रावधानों एवं प्रक्रिया की जानकारी दी जाएगी।

प्रशिक्षण के मुख्य प्रशिक्षक भूतपूर्व सदस्य, छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग रायपुर शरद श्रीवास्तव द्वारा जानकारी दी गई कि 18 वर्ष से कम उम्र में लड़कियों तथा 21 वर्ष से कम उम्र में लड़को के विवाह बाल विवाह है। कम उम्र में बाल विवाह करने व कराने वाले, वैवाहिक कार्यक्रमों में सम्मिलित होने वाले, नाचने-गाने-बजाने वाले, वैवाहिक अनुष्ठानकर्ताओं एवं बैण्ड पार्टियों तथा टेन्ट वालो इत्यादि को 2 वर्ष सजा एवं 1 लाख की जुर्माने से दण्डित किए जाने का प्रावधान बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत प्रावधानित किया गया है। बाल विवाह की रोकथाम हेतु पूर्व में जिला कार्यक्रम अधिकारी एवं महिला एवं बाल विकास अधिकारी तथा परियोजना अधिकारी बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी घोषित किये गये हैं। वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा अधिसूचना जारी कर महिला एवं बाल विकास विभाग के सर्व पर्यवेक्षकों तथा ग्राम पंचायत सचिव को बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी घोषित किया गया है। अब बाल विवाह को ग्राम स्तर पर ही रोका जाना सुगम होगा। बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारियों का सहयोग प्राप्त कर किसी भी ग्राम या समाज में बाल विवाह नही हो ऐसी संकल्पना से प्रयास किया जाना आवश्यक है।

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